(पच्चिसवाँ विषय)

समर्पण



वेदांत : अब बताइये आपके मन में और क्या-क्या संशय तथा प्रश्न रह गए हैं? 


शाहिदा : वैसे मेरे मन में जितने भी प्रश्न थे लगभग उन सभी का आपने उत्तर दे दिया है। आज मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मुझे नया जीवन मिला है। जैसे ज्ञान के साथ मेरा पुनर्जन्म हुआ है। मैंने आपके जैसा विद्वान् आज तक नहीं देखा, क्योंकि आपने केवल एक ही बार में मुझे गूढ़ से गूढ़ ज्ञान के विषय को सरल से सरल भाषा में समझाया है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं आपका धन्यवाद कैसे करूँ? मैं आपको अपना गुरु बनाना चाहती हूँ।


वेदांत : मैं कोई गुरु नहीं हूँ, लेकिन फिर भी अगर आपके जीवन में मेरे द्वारा कोई अच्छा बदलाव आया है, तो जो-जो मैंने कहा है उसको जीवनभर याद रखना, तथा पालन करना। यही मेरे लिए आपकी ओर से भेंट होगी। मैं तो केवल जो वैष्णव संतों से मैंने सीखा है, वही सब बता रहा हूँ। विशेष तौर पर मैंने सबकुछ अपने गुरुदेव श्रील प्रभुपाद से ही सीखा है। आप उनकी शरण में जाइये, उनकी शरण में जाने से निश्चित ही आपको भगवदप्राप्ति होगी। आप मन में भगवान का स्मरण कीजिये, मंत्र जाप कीजिये और 4 नियमों का पालन कीजिये। भगवान कृष्ण से आकर्षण होने के कारण आपको उनके विषय में जानने और पढ़ने का मन करता रहेगा। तो इसलिए आप श्रील प्रभुपाद की लिखी टीका वाली ‘श्रीमद्भागवतम्’ पुस्तक पढ़ सकते हो। प्रभुपाद द्वारा लिखी गयी भगवद गीता यथारुप और भागवतम् दोनों ही पुस्तक आप ऑनलाइन इंटरनैट से भी पड़ सकते हो, और आपको पढ़नी ही चाहिए। पर उनके प्रत्येक श्लोक का तात्पर्य ठीक से जान लेना भी आवश्यक है, अन्यथा आप भ्रमित हो सकते हो। 


शाहिदा : मुझे मेरे पति और ससुराल वालों के कारण मज़बूरी में न चाहते हुए भी नमाज़ पढ़नी पड़ेगी। अवश्य ही ये मेरे बुरे कर्मों का परिणाम ही होगा जो मुझे मुसलमान घर में जन्म मिला, नहीं तो किसी कृष्ण भक्त के घर में जन्म मिलता। हालांकि मैं धीरे-धीरे इस्लाम के सभी विधि-विधानों का त्याग करने का प्रयास करूंगी। और घर के बाकी सब सदस्यों को भी कृष्ण भक्ति का ज्ञान देने का प्रयास करूंगी। लेकिन एकदम से तो मैं ये सब नहीं कर पाऊँगी, उसके लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए होगा। पर क्या ऐसे में मेरे नमाज़ पड़ने से भगवान कृष्ण नाराज़ नहीं होंगे? 


वेदांत : अगर भगवान ही अकारण नाराज़ होने लगेंगे तो क्या ये विश्व बचेगा? भगवान तो करुणा-दया का सिंधु सागर है। पूतना और कंस जैसे राक्षस लोग जो कृष्ण को मारना चाहते थे, कृष्ण ने उनका भी उद्धार कर दिया, उन्हें मुक्ति दिलाक़े। आप भगवान के विषय में ऐसा मत सोचिये, वो कोई खलनायक नहीं है। फिलहाल जिस प्रकार भी आप भक्ति कर सकते हो, उसी प्रकार कीजिये। लेकिन आपको मांस खाना तो बंद करना ही होगा। 


शाहिदा : मैं मांस खाने का त्याग करती हूँ। 


वेदांत : अगर आप एकादशी का व्रत रखते हो तो ये और भी अच्छी बात होगी। ये व्रत सभी व्रतों में सबसे महान है। क्योंकि एकादशी व्रत रखने से दूसरे सभी व्रत रखने का फल मिलता है।


शाहिदा : निश्चित ही अब मैं शुद्ध कृष्ण भक्त बनूंगी, चारों नियमों का पालन करूंगी। इस्लाम और सनातन धर्म की वास्तविक सच्चाई बताने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 


वेदांत : मैं प्रार्थना करता हूँ कि आपका जीवन शुद्ध आध्यात्मिक बने और आप इसी जीवन में भगवद प्राप्ति करो। हरे कृष्णा।


शाहिदा : हरे कृष्णा।