इस्लाम से कृष्ण तक - परिचय
मेरा नाम ‘वेदांत कृष्ण दास' है। अवश्य ही मैं अध्यात्म और धर्म का थोड़ा-बहुत ज्ञान रखता हूँ, पर मैं कोई बड़ा विद्वान नहीं हूँ। क्योंकि मैं तो वही सब ज्ञान सरल से सरल भाषा में समझाने का प्रयास कर रहा हूँ जो मैंने महान वैष्णव संत गुरुदेव ‘श्रील प्रभुपाद जी' से सीखा है। सभी मज़हबी और आध्यात्मिक पुस्तकों को गहराई से पढ़ने और समझने के बाद मैं इस निष्कर्ष तक पहुँचा हूँ कि ‘चैतन्य महाप्रभु’ द्वारा बताया गया आध्यात्मिक सिद्धांत ही पूर्ण रूप से उचित सिद्धांत है। हमारी संस्था ‘इस्कॉन’ चैतन्य महाप्रभु के सिद्धांत का पुरे विश्व में प्रचार करने के लिए ही प्रसिद्ध है। हम इस्कॉन के भक्त दिन-रात केवल परम ईश्वर ‘कृष्ण’ की भक्ति का प्रचार करने में लगे रहते हैं। क्योंकि कृष्ण भक्ति के द्वारा ही मनुष्य को वास्तविक सुख या परम आनंद की प्राप्ति हो सकती है। आपके पास भले ही संसार की सारी भौतिक वस्तुएँ उपलब्ध हों, पर अगर आपमें कृष्ण भक्ति नहीं है, तो वो सारी वस्तुएँ मिलकर भी आपको आत्मशान्ति का अनुभव नहीं करवा सकतीं। इसके लिए हम सभी को वो कार्य अवश्य करना चाहिए जिससे हमारे गुरुदेव को प्रसन्नता हो। शुद्ध भक्ति का प्रचार करने से गुरुजन अत्यंत प्रसन्न होते हैं, उनकी संतुष्टि के लिए ही मैंने इस पुस्तक को प्रस्तुत किया है। ये पुस्तक मेरे और एक मुसलमान लड़की ‘शाहिदा' के बीच हुई बात-चीत पर आधारित है। इसमें मैंने शाहिदा को वास्तविक अध्यात्म, धर्म और निष्काम भक्ति के विषय में समझाने का प्रयास किया है। मैं चाहता हूँ कि आप लोग भी सनातन हिन्दू धर्म को समझें, क्योंकि अधिकांश सनातनी लोग अज्ञानता के कारण ही दूसरे पंथ या मज़हब के लोगों द्वारा मूर्ख बना दिये जाते हैं। कुछ लोगों के तो जीवन का उद्देश्य ही हिन्दुओं को धर्म से अलग करना होता है, लेकिन इसमें कोई बुराई भी नहीं है। क्योंकि जब तक सभी लोग अपने-अपने तर्कों को ठीक से पेश नहीं करेंगे, तब-तक सच सामने कैसे आ सकेगा? मेरे अनुसार अपने मज़हब या पंथ को सही साबित करने का प्रयास करना, और दूसरे लोगों को अपने सिद्धांत से जोड़ने का प्रयास करने में कुछ भी बुरा नहीं है। पर अगर आप केवल सामने वाले की अज्ञानता के कारण उनको मूर्ख बनाकर अपने मज़हब से जोड़ोगे, तो ये अवश्य गलत है। अधिकतर दूसरे मज़हब का पालन करने वाले, और यहाँ तक कि हिन्दू लोग भी धर्म या अध्यात्म को ठीक से नहीं जानते हैं। इसलिए इस पुस्तक को अंत तक पढ़ें, और यथार्थ रूप में समझने का प्रयास करें। विशेषकर सनातनियों से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप लोग धर्म और अध्यात्म को उचित प्रकार से समझो, तथा अज्ञानी लोगों को ठीक से उत्तर देने के योग्य हो जाओ। ताकि आपको और आपके सम्बंधियों को इस विषय में कभी कोई भ्रमित न कर सके। मेरा उद्देश्य आपको आध्यात्मिक बनाना है, न कि राजनैतिक। मैं आपके शुद्ध सात्विक और आध्यात्मिक जीवन की प्रार्थना करता हूँ।