वेदांत कृष्ण दास उर्फ़ वेदांत प्रभुजी एक आध्यात्मिक कथावाचक हैं, जो अपने सरल, सटीक और प्रभावशाली शैली में श्रीमद्भगवद्गीता एवं श्रीमद्भागवतम् का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वो न सिर्फ एक वक्ता हैं, बल्कि एक ऐसे साधक हैं जिनका जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति और सनातन धर्म की सेवा के लिए पूरी तरह समर्पित है। वेदांत प्रभुजी कृष्ण भावनामृत आंदोलन (ISKCON) को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनका लक्ष्य देश-विदेश में प्रवचनों के माध्यम से लाखो-करोड़ो लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ना है। उनकी वाणी में शास्त्र की गहराई देखने को मिलती है, और भाषा इतनी सहज कि हर वर्ग का श्रोता उन्हें अपना सा अनुभव करता है। वेदांत प्रभुजी की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक "इस्लाम से कृष्ण तक" है, जो आज एक जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। इस पुस्तक ने ऐसे हजारों लोगों को प्रभावित किया है जो भटकाव में थे या अज्ञानता के कारण जिनका धर्म से विश्वास हट चुका था। लेकिन इस पुस्तक को पढ़ने के बाद उन्होंने न सिर्फ सनातन धर्म को ठीक से समझा, बल्कि कई लोगों ने अपने पुराने मज़हब (इस्लाम, ईसाइयत आदि) को त्यागकर श्रीकृष्ण की भक्ति को स्वीकार किया। प्रभुजी की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो कभी भी कथा या प्रवचन के लिए फीस के रूप में कोई धन (पैसे) नहीं लेते। उनका मानना है कि धर्म और शास्त्र का ज्ञान सिर्फ सेवा से ही पवित्र रह सकता है, व्यापार से नहीं। इसलिए ही उनका प्रत्येक प्रवचन लोगों को आत्मज्ञान, धर्म, त्याग, भक्ति और मोक्ष के मार्ग की ओर प्रेरित करता है। वे आज के युग के उन विरले साधकों में से हैं, जो केवल ग्रंथ नहीं बोलते, बल्कि उन्हें अपने जीवन में उतारकर दूसरों को भी वही राह दिखाते हैं।
– अरुण कृष्ण दास (वेदांत प्रभुजी का शिष्य)