(आँठवा विषय)
क्या मुहम्मद ही कल्कि हैं?
शाहिदा : मैंने इस्लाम मज़हब के प्रसिद्ध गुरू मौलवी ‘ज़ाकिर नाइक’ के एक भाषण में सुना था कि इस्लाम के अंतिम पैग़म्बर मुहम्मद ही सनातन हिन्दू धर्म में बताये गए ‘कल्कि अवतार’ हैं। और इसलिए हिंदुओं को भी उनकी बताई हुई बात, यानी क़ुरान और हदीस का ही पालन करना चाहिए।
वेदांत : ये तो बिलकुल ही मूर्खों वाली बात है। क्योंकि मुहम्मद ने जो सिद्धांत बताए हैं, उनमें और सनातन सिद्धान्त में भूमि और आकाश जितना अंतर है। मुहम्मद कल्कि अवतार हैं या नहीं, इसपर चर्चा शुरू करने से पहले आप ये बताइये कि क्या आपको ऐसा लगता है कि इस्लाम का पूर्ण रूप से पालन करना संभव है?
शाहिदा : सच बताऊँ तो मैं इस्लाम के कई नियमों को ठीक नहीं समझती। और मूझे लगता है कि कोई भी समझदार मुसलमान इस्लाम के सभी नियमों को उचित नहीं समझता। पर इस्लाम को ही सही मानना हमारी मजबूरी है।
वेदांत : सच्चाई यही है कि आपमें भले ही ईमान कूट-कूट के भरा हो, फिर भी आप सामान्य तौर पर इस्लाम के नियमों का पालन नहीं कर सकते, और न ही करना चाहते हो। इस्लाम का पूर्ण रूप से पालन करने के लिए आपको बुद्धि की कमी और नासमझी की आवश्यकता होगी। क्योंकि इस्लाम एक सांकेतिक मज़हब है। पूर्ण रूप से पालन करने योग्य नहीं है, बल्कि केवल कुछ समय के लिए और कुछ अति असभ्य लोगों में केवल थोड़ा सा सुधार करने के लिए ही इस्लाम आया था। इस्लाम में मान्यता है कि अल्लाह ने उनके आदेशों का पालन और प्रचार करने के लिए लगभग 124,000 पैगम्बरों को पृथ्वी पर भेजा था। लेकिन क़ुरान में केवल 25 पैगम्बरों के नाम ही मिलते हैं। इस्लाम वास्तव में अब्राहमिक मज़हबों का ही एक भाग है। अगर आप क़ुरान को ठीक से पढ़ोगे तो उसमें आपको 70% से 80% तक ईसाई धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक ‘बाइबिल’ और यहूदी धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक ‘तोराह’ की बातें ही मिलेंगी।
शाहिदा : पर कहा जाता है कि मुहम्मद, जिनपर ‘जीबराइल’ नाम के एक फरिश्ते द्वारा क़ुरान की आयतें आती थीं, उन्होंने बताया कि वही अंतिम पैगम्बर हैं। उनके बाद कोई अन्य पैगम्बर नहीं आएगा। और उनके पहले वाले पैगम्बरों की बातें भी पूर्ण रूप से उचित नहीं थी। इसलिए केवल इस्लाम का ही पालन किया जाना चाहिए।
वेदांत : सनातन शास्त्रों के अनुसार 43 लाख 20 हज़ार वर्षों का एक महायुग होता है, जिसमें 17 लाख 28 हज़ार वर्षों तक सतयुग, 12 लाख 96 हज़ार वर्षों तक त्रेतायुग, 8 लाख 64 हज़ार वर्षों तक द्वापरयुग और 4 लाख 32 हज़ार वर्षों तक कलयुग होता है। कलयुग को सबसे नकारात्मक बताया गया है, पर सौभाग्य से इसकी अवधि सबसे कम है। भगवद गीता के अध्याय 4 श्लोक 6 में भगवान कृष्ण कहते हैं कि “मैं अपनी प्रकृति को अपने ही अधीन करके योगमाया से प्रकट होता हूँ। फिर श्लोक 7 और 8 में कृष्ण कहते हैं कि “जब-जब धर्म पर अत्याचार होने लगते हैं और अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं आता हूँ, बुरे लोगों का विनाश करने के लिए, अच्छे लोगों की रक्षा करने के लिए और धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं स्वयं हर युग में प्रकट होता हूँ।” भागवत महापुराण में भगवान के कई अवतारों की बात करी गयी है। कुछ पूर्ण अवतार हैं जैसे श्रीराम और श्रीकृष्ण, वही कुछ केवल भगवान के अंश या कलाएं हैं। कुल 6 प्रकार के अवतार होते हैं - पुरुष अवतार, लीला अवतार, गुण अवतार, मंन्वंतर अवतार, युग अवतार और शक्तयावेश अवतार। जिस प्रकार से इस्लाम और ईसाई मज़हब में पैगम्बरों की संकल्पना है, वैसे सनातन धर्म में भी कुछ ऐसे अवतार हैं जिन्हें पैग़म्बर कहा जा सकता है। विशेष तौर पर उन्हें ‘शत्यावेश’ अवतार कहा जाता है। भागवत महापुराण के सकन्ध 12 अध्याय 2 श्लोक 18 में कलयुग के अंत में ‘कल्कि अवतार’ के प्रकट होने की बात करी गयी है। लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि कल्कि भगवान के अंतिम अवतार हैं, या फिर कलयुग में भगवान का केवल कल्कि रूप में ही अवतार होगा। हमारे भगवान ‘सर्वशक्तिमान’ हैं, इसका अर्थ ये है कि वो कुछ भी कर सकने की क्षमता रखते हैं। इसलिए जब चाहें तब अवतार या विस्तार कर सकते हैं। जैसे वो कुछ सदियों पहले अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार 18 फरवरी 1486 को अपने ही भक्त ‘चैतन्य महाप्रभु’ के रूप में प्रकट हुए थे। जिसके प्रमाण भागवत महापुराण स्कंध 11 अध्याय 5 श्लोक 32 में अप्रत्यक्ष या सांकेतिक रूप में मिलते हैं। और गुलाब खान, तुलसीदास, मीरा जैसे भक्तों के लिए भी भगवान कई बार प्रकट हुए थे। किसी भी व्यक्ति की इतनी क्षमता नहीं है कि वो अपनी समझ के अनुसार भगवान के कार्यो को निश्चित कर सके। इस समय कलयुग को शुरू हुए केवल लगभग 5,000 वर्ष ही हुए हैं। जबकि शास्त्रों में स्पष्ट बताया गया है, कि कल्कि अवतार - कलयुग के बिल्कुल अंत में आएंगे। जिस समय गंगा नदी पूरी सूख चुकी होगी, 10-12 वर्ष की उम्र में ही लोग दादा-दादी और नाना-नानी बनने लगेंगे। सब्ज़ियां और फल उगना लगभग बंद हो चुके होंगे। आकाश से निरंतर तेज़ाब की वर्षा होने लगेंगी। और ऐसी कई सारी निशानियां बताई गई हैं, पर अभी इन निशानियोंके पूरा होने के दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं।
शाहिदा : लेकिन ज़ाकिर नाइक मुहम्मद को कल्कि अवतार सिद्ध करने के लिए कई सारे तर्क भी देता है। जैसे वो कहता है कि आपके शास्त्रों के अनुसार कल्कि अवतार के पिता का नाम ‘विष्णुयाश’ होगा। विष्णुयाश का अर्थ होता है ईश्वर का भक्त और अगर इस शब्द का हम अरबी में अनुवाद करेंगे, तो इसका अर्थ निकलेगा ‘अब्दुल्लाह’, और ये नाम मुहम्मद के पिता जी का था।
वेदांत : कमाल है, उस मुर्ख व्यक्ति ने अज्ञानता के कारण विष्णुयाश को अब्दुल्लाह बना दिया। लेकिन विष्णुयाश का वास्तविकत अर्थ है भगवान विष्णु का भक्त, और विष्णुयाश का एक अर्थ विष्णु का यश यानि ‘विष्णु की महिमा’ भी होता है। ऐसे अगर किसी का नाम ‘भगवान दास’ है तो क्या उसके बेटे को भी कल्कि अवतार मान लेना चाहिए? पर चलो इस मान्यता से उस नालायक मौलवी ने कम से कम ये तो स्वीकार कर लिया कि श्री विष्णु ही ईश्वर हैं।
शाहिदा : इसपर उसका दूसरा तर्क ये है कि कल्कि अवतार की माता का नाम ‘सुमति’ बताया गया है, जिसका अर्थ ‘शान्ति’ होता है। और मुहम्मद की माता का नाम भी ‘आमिना’ यानी शान्ति था।
वेदांत : इसी बात से आप ज़ाकिर नाइक की अज्ञानता का अनुमान लगा सकते हो, कि उसे ये भी नहीं पता क़ि सुमति का अर्थ शान्ति नहीं होता। सुमति का अर्थ ‘अच्छी मति’ या ‘अच्छी बुद्धि’ होता है। वैसे कुछ इसी प्रकार की बातें सिख धर्म का पालन करने वाले भी करते हैं। उन लोगों का कहना है कि सिख धर्म के दसवें गुरु, ‘श्री गोबिंद सिंह जी’ ही कल्कि अवतार हैं। और उनका तो नाम भी गोबिंद है, जो क़ि भगवान श्री कृष्ण के नाम ‘गोविन्द’ से बना है। साथ ही हमारे शास्त्रों में कल्कि अवतार के बारे में जो-जो गुण बताये गए हैं, गुरु गोबिंद सिंह जी में भी वो सभी गुण हैं। पर हम लोग फिर भी गुरु गोबिंद सिंह जी को कल्कि अवतार नहीं मान सकते, फिर मुहम्मद को मानना तो बहुत दूर की ही बात है। क्योंकि शास्त्रों में साफ-साफ बताया गया है कि भगवान का कल्कि रूप में प्राकट्य कलयुग के अंत में होगा, जिसको अभी लगभग 4 लाख 25 हज़ार वर्ष बाकी हैं। निश्चित ही गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षा भी भगवद गीता के ज्ञान के जैसी ही थी। इसलिए एक बार को हम उन्हें कल्कि अवतार मान भी लें, तो हमें कोई अधिक समस्या नहीं होगी। क्योंकि सिख धर्म बहुत तर्कशील और आध्यात्मिक है। भगवद गीता और सिख धर्म में कोई विशेष अंतर नहीं है। हम लोग तो सिख धर्म को भी सनातन धर्म का ही भाग मानते हैं। पर मुहम्मद के चरित्र को देखकर उनको कल्कि अवतार मानना तो संभव ही नहीं है।
शाहिदा : साथ ही ज़ाकिर ये भी बताता है क़ि हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ ‘भविष्य पुराण’ के पर्व 3 खंड 3 अध्याय 3 में तो मुहम्मद का नाम तक लिखा हुआ है, क्या ये बात सच है?
वेदांत : भविष्य पुराण में मुहम्मद का कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन हाँ भविष्य पुराण के पर्व 3, खंड 3, अध्याय 3 में राजा भोज और एक ‘महामद’ नाम के राक्षस की कथा का उल्लेख अवश्य किया गया है। उसमें बताया गया है कि महामद नाम का एक विदेशी राक्षस था जिसने भगवान शंकर की पूजा करके उनसे शक्ति का वरदान प्राप्त किया, और फिर वो पूरे विश्व में अत्याचार करने लगा। यहाँ महामद राक्षस की बात हो रही है, लेकिन उसे मौलवी ज़ाकिर नायक अपने पैग़म्बर मुहम्मद मान रहा है तो इसमें मैं क्या ही बोल सकता हूँ? वो तो स्वयं मुसलमान होकर भी अपने पैग़म्बर मुहम्मद को भविष्य पुराण के द्वारा राक्षस साबित करने में लगा है। तो अब अगर कोई हिन्दू भविष्य पुराण पढ़कर ये बोलना शुरू कर दे, क़ि हमारे शास्त्रों में इस्लाम के आखरी पैग़म्बर मुहम्मद को राक्षस बताया गया है। तब आप उस व्यक्ति को दोष नहीं दे सकते, क्योंकि आप तो स्वयं ऐसा दावा कर रहे हो।
शाहिदा : कितने नीच होते हैं ऐसे मौलवी लोग जो केवल स्वयं को और इस्लाम को सच्चा सिद्ध करने के लिए इस प्रकार अजीब से झूठे तर्क देते हैं। उसने मुहम्मद को महामद बनाकर राक्षस सिद्ध कर दिया, और आज भी उसके अन्धविश्वासी भक्त उसे सच्चा मानते हैं।
वेदांत : ऐसे मुर्ख विद्वान दूसरे धर्मों की पुस्तकों में मुहम्मद से मिलता-झुलता नाम या चरित्र ढूंढ़कर ये सिद्ध करना चाहते हैं कि अन्य मज़हबों में भी मुहम्मद का उल्लेख है, ताकि अज्ञानी लोग इस्लाम की ओर आकर्षित हों। जबकि वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता, वो केवल अंधों में काणा राजा बनते हैं, और मुर्ख तथा अज्ञानी लोगों को हमेशा भ्रमित करते रहते हैं। अगर आपने स्वयं वास्तव में भविष्य पुराण का पर्व 3, खंड 3, अध्याय 3 पढ़ा होता तो आप इस प्रकार की बात कभी नहीं करते। यही प्रमाण है क़ि अधिकांश अज्ञानी लोग केवल सुनी-सुनाई या बनावटी बातों पर अकारण विश्वास कर रहे हैं। जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।